Sholay Re-Release: सालों बाद खुला 'शोले' का बड़ा राज, 5 असली लोगों पर आधारित थी कहानी, एक सीन को शूट करने में लगे थे कई साल

Sholay Re-Release: बॉलीवुड की आइकॉनिक फिल्म 'शोले' जिसने हिंदी सिनेमा में ऐसे-ऐसे रिकॉर्ड बनाए जिसे आजतक कोई फिल्म नहीं तोड़ पाई है, आज (शुक्रवार) को पूरे 50 साल बाद ये फिल्म फिर से सिनेमाघरों में तहलका मचाने लौट रही है.

By: Masummba Chaurasia  |  Published: December 12, 2025 8:43 AM IST

Sholay Re-Release: सालों बाद खुला 'शोले' का बड़ा राज, 5 असली लोगों पर आधारित थी कहानी, एक सीन को शूट करने में लगे थे कई साल

Sholay Sholay Re-Release: बॉलीवुड की आइकॉनिक फिल्म 'शोले' एक बार फिर सुर्खियों में है. 12 दिसंबर को यह ब्लॉकबस्टर फिल्म थिएटर्स में दोबारा रिलीज हो रही है. 1975 में आई 'शोले' ने न सिर्फ कई रिकॉर्ड तोड़े, बल्कि कुछ ऐसे किस्से भी पीछे छोड़ गई, जो आज भी फैंस को हैरान कर देते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह फिल्म 5 असली लोगों की जिंदगी से प्रेरित थी? और इसका एक खूबसूरत सीन 3 साल तक इंतजार करने के बाद शूट हुआ था.

6 साल में बनी इंडस्ट्री की सबसे बड़ी फिल्म

'शोले' की शुरुआत सिर्फ चार लाइन के आइडिया से हुई थी. बाद में इसे सलीम-जावेद ने एक बेहतरीन कहानी में बदल दिया. यह फिल्म 15 अगस्त 1975 को रिलीज हुई थी और इसे बनने में पूरे 6 साल लगे. उस समय का 3 करोड़ रुपये का बजट भी बहुत बड़ा माना जाता था.
शुरुआत में फिल्म को ठंडा रिस्पॉन्स मिला था, लेकिन 'वर्ड ऑफ माउथ' ने इसे इतिहास की सबसे बड़ी फिल्मों में शामिल कर दिया. बॉक्स ऑफिस पर इसने 35 करोड़ रुपये की कमाई की, एक ऐसा रिकॉर्ड, जो अगले 20 साल तक नहीं टूटा.

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सलीम खान के ससुर पर था ये किरदार

कम लोग जानते हैं कि संजीव कुमार के निभाए गए ठाकुर बलदेव सिंह का किरदार असल जिंदगी के बलदेव सिंह चरक से प्रेरित था. वह सलीम खान के ससुर थे और जम्मू-कश्मीर के डोगरा राजपूत परिवार से ताल्लुक रखते थे. उनकी बहादुरी और प्रभावशाली व्यक्तित्व को सलीम खान ने ठाकुर के रूप में पर्दे पर उतारा.

जय-वीरू वास्तविक दोस्तों पर आधारित

जय और वीरू हिंदी सिनेमा की सबसे यादगार दोस्ती, भी पूरी तरह वास्तविक थी. सलीम खान ने ये किरदार अपने दो दोस्तों से इंस्पायर्ड होकर लिखे थे. इनमें से एक इंदौर के वीरेंद्र सिंह बायस थे, जबकि दूसरे जय सिंह राव कालेवर, जो किसान थे. दिलचस्प बात यह है कि दोनों अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी दोस्ती का रंग 'शोले' में आज भी जिंदा है.

गब्बर असल में था कुख्यात डाकू

अमजद खान का निभाया हुआ गब्बर सिंह असल में 1950 के दशक के ग्वालियर के एक डरावने डाकू पर आधारित था. वह लोगों की नाक और कान काट लेने के लिए कुख्यात था. सलीम खान को इस डकैत की कहानी उनके पिता ने सुनाई थी और यह कहानी बाद में हिंदी सिनेमा के सबसे खतरनाक विलेन का रूप ले गई.

एक सीन जावेद अख्तर की सास से प्रेरित

फिल्म में वह सीन, जहां जय बसंती की मौसी से शादी की बात करने जाता है, वह असल घटना पर आधारित था. जावेद अख्तर की होने वाली पत्नी हनी ईरानी की मां से मिलने के समय हुई बातचीत को मजेदार अंदाज में फिल्म में रखा गया.

23 दिन और 3 साल ये थे 'शोले' के सबसे कठिन सीन

ठाकुर के परिवार पर गब्बर के हमला करने वाला सीन बेहद लंबा और कठिन था. इसे शूट करने में 23 दिन लगे थे, लेकिन सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि जय और राधा का एक सीन पूरा करने में पूरे 3 साल लगे. अमिताभ बच्चन ने बताया था कि इस सीन में सूर्यास्त की परफेक्ट रोशनी चाहिए थी, जो हर बार बिगड़ जाती थी.

उन्होंने बताया था, कि रमेश सिप्पी ने साफ कहा था, 'रोशनी सही मिलेगी तभी शूट होगा.' और आखिरकार 3 साल बाद यह शॉट परफेक्ट हुआ. 'शोले' सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि भारत के सिनेमा इतिहास की धरोहर है. इसकी असल कहानियों और दिलचस्प किस्सों ने इसे और भी यादगार बना दिया है.