Sitaare Zameen Par Review: आमिर खान ने फिर से दिल जीत लिया, लेकिन इस बार रास्ता थोड़ा लंबा लग गया!

Aamir Khan Genelia D'souza Sitaare Zameen Par Movie Review: आमिर खान की फिल्म सितरे जमीं पर आज रिलीज हो चुकी है. तो फिर देर किस बात की, चलिए जानते हैं कि आमिर खान की ये मचअवेटेड फिल्म आखिर कैसी है.

By: Geetam Shrivastava  |  Published: June 20, 2025 11:09 AM IST

Sitaare Zameen Par Review: आमिर खान ने फिर से दिल जीत लिया, लेकिन इस बार रास्ता थोड़ा लंबा लग गया!

आमिर ख़ान की फिल्में जब भी आती हैं, एक उम्मीद भी साथ लाती हैं. उम्मीद कि कुछ हटके देखने को मिलेगा और कुछ ऐसा होगा जो एन्टरटेन्मेंट की चाशनी में लपेट के सोसाइटी को एक बेहद जरूरी मेसेज देगा. ‘सितारे ज़मीन पर’ भी कुछ वैसा ही देने की कोशिश करती है . ये फिल्म 2018 में आई स्पेनिश फिल्म 'चेम्पियंस' का ऑफिशियल हिंदी रीमेक है. ये एक इमोशनल राइड है जिसमे भरपूर कॉमेडी के साथ मासूमियत है, समाज की कड़वी सच्चाई है और उसे लेकर सीख भी है. फिल्म डाउन सिंड्रोम, ओटिज्म, पेरेंट्स की दूसरी शादी जैसे कई स्टीरियोटाइप को तोड़ती है और बताती है कि वक्त से साथ कई चीज़ों को अनलर्न करना भी कितना जरूरी है.

मूवी रिव्यू: सितारे जमीन पर
डायरेक्टर: आर.एस. प्रसन्ना
अवधि: 158 मिनट्स

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रेटिंग: 4 स्टार

कहानी क्या है?

फिल्म की कहानी बहुत सीधी है, आमिर खान एक बास्केटबॉल कोच हैं जो कि अपने सीनियर से हुए झगड़े के बाद नशे में एक्सीडेंट कर देते हैं जिसकी सज़ा के तौर पर उन्हें कम्यूनिटी सर्विस देने के लिए स्पेशल बच्चों की बास्केटबॉल टीम को टूर्नामेंट के लिए तैयारी करवाने की जिम्मेदारी दी जाती है. आगे की कहानी इसी सफर पर आधारित है कि कैसे अंत तक आते आते ये इंसान के जिंदगी देखने के नज़रिए को बदल देती है.

बच्चे ही असली स्टार हैं

फिल्म की कास्ट में शामिल हुए सभी बच्चे असल जिंदगी में भी स्पेशल चाइल्ड ही हैं और यही कारण है कि फिल्म में जितने प्यारे और नैचुरल परफॉर्मेंस बच्चों से मिले हैं, शायद ही किसी और फिल्म में देखने को मिलें। उनके चेहरे के एक्सप्रेशन, डायलॉग डिलीवरी, और इमोशनल सीन्स में जो मासूमियत है वो दिल छू जाती है। इसके अलावा आमिर ने भी अपने किरदार को ईमानदारी से निभाया है, जेनेलिया भी स्क्रीन पर अच्छी लगती हैं लेकिन डॉली आहलूवालिया और बिजेन्द्र काला की परफॉर्मेंस ने दिल जीत लिया. इन दोनो की स्क्रीन प्रजेंस और केमिस्ट्री फिल्म में कमाल लगती है.

म्यूज़िक और डायरेक्शन

फिल्म का म्यूजिक और बैकग्राउंड स्कोर शंकर अहसान लॉय और राम संपत का है. दोनो फिल्म की थीम के हिसाब से अच्छे हैं लेकिन फिल्म का कोई गाना ऐसा नहीं है जो आपके साथ फिल्म के खत्म होने तक रहे. डायरेक्शन की बात करें तो आर. एस.प्रसन्ना ने पूरी फिल्म के दौरान उसकी आत्मा को जिंदा रखा है. फिल्म कहीं भी अपने सब्जेक्ट से नहीं भटकती.आमिर ने इसे दिल से बनाया है ,कहानी में ईमानदारी है, लेकिन हां, सेकंड हाफ में फिल्म थोड़ी खिंचती है और क्लाइमैक्स आते-आते आपको लगेगा कि थोड़ा जल्दी ख़त्म कर सकते थे!

क्या कमी रही?

फिल्म की लंबाई थोड़ी ज्यादा महसूस होती है। कुछ सीन्स रिपीटेड से लगते हैं, जहां फर्स्ट हाफ बेहद टाइट है, वहीं सेकंड हाफ में स्क्रिप्ट थोड़ी सी ढीली पड़ जाती है।

लेकिन मेसेज बड़ा है!

इस फिल्म का मकसद सिर्फ एंटरटेनमेंट नहीं है। ये एक बहुत जरूरी मैसेज देती है कि हर बच्चा अलग है, सबका अपना अपना नॉर्मल है और हमें उन्हें उसी रूप में स्वीकार करना चाहिए।फिल्म उन बच्चों की कहानी कहती है जहां हर बच्चा ‘आम’ तो नहीं है लेकिन सबके सपने और जुनून बहुत बड़े हैं. एजुकेशन सिस्टम, पैरेंट्स और टीचर्स सबके लिए इसमें सोचने लायक बहुत कुछ है।

फाइनल वर्ड:

‘सितारे ज़मीन पर’ एक इमोशनल फिल्म है, जो थोड़ा वक्त मांगती है लेकिन उसके बदले दिल से आपको बहुत कुछ देती है। ये सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक एहसास है जो देर तक आपके साथ रहेगा। बच्चों के मन की परतों को समझना, उन्हें एक्सेप्ट करना, और समाज को आईना दिखाना यही फिल्म की आत्मा है।फिल्म को बच्चों के साथ, परिवार के साथ जरूर देखें.


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Geetam Shrivastava